इस्लामिक जीवनशैली और कैंसर से सुरक्षा – विज्ञान और आस्था का संगम
परिचय-
आज के दौर में कैंसर एक गंभीर वैश्विक समस्या बन चुका है। लाखों लोग हर साल इस बीमारी से प्रभावित होते हैं, लेकिन शोध से पता चलता है कि इस्लामिक दुनिया में कैंसर की दर अपेक्षाकृत कम है। आखिर क्या कारण है कि मुसलमानों में कैंसर जैसी बीमारियाँ गैर-मुस्लिम समाजों की तुलना में कम पाई जाती हैं?
इस्लाम केवल एक धर्म ही नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक सम्पूर्ण तरीका है। इसमें हर आदेश और निषेध के पीछे इंसानियत के लाभ का पहलू छुपा होता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अब इस्लामिक जीवनशैली के फायदों को प्रमाणित कर रहा है। आइए जानते हैं कि इस्लाम कैसे कैंसर जैसी घातक बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है।
इस्लाम में निषेध (हराम) चीजें और कैंसर से सुरक्षा
1. धूम्रपान और तंबाकू से बचाव
अल्लाह पाक कुरान में कहता है:
,,,,,,,,,,अपने ही हाथों से अपने-आपको तबाही में न डालो,,,,,,,,,,
(सूरह अल-बक़रा 2:195)
• धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का) फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
• इस्लाम में नशे को हराम कहा गया है, इसलिए मुसलमानों में धूम्रपान करने वालों की संख्या कम होती है।
• धूम्रपान नहीं करने से लंग कैंसर, मुँह का कैंसर और गले के कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है।
2. शराब (Alcohol) से बचाव
कुरान कहता है:
"हे ईमान वालों! शराब, जुआ, मूर्तिपूजा और पाँसे अपवित्र चीजें हैं, इसलिए इनसे बचो ताकि तुम सफल हो सको।" ( सूरह अल-मायदा 5:90)
• शराब (Alcohol) लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
• इस्लाम में शराब सख्ती से मना है, जिससे मुसलमानों में लिवर कैंसर और पैंक्रियाटिक कैंसर की दर काफी कम होती है।
3. उपवास (रोज़ा) और डिटॉक्सिफिकेशन
हदीस में आता है:
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया:
"रोज़ा एक ढाल है (Fasting is a shield) इसलिए ( जो रोज़ेदर हो) वो ना तो बीवी से हमबिस्तरी करे और ना फ़हाश (बुरी) और जहलत की बातें करे और अगर कोई शख्स उस से लड़े या उसे गाली दे तो उसका जवाब सिर्फ़ ये कहना चाहिए की मैं रोज़ेदर हूँ दो बार (कहे),,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(सहीह बुख़ारी 1894)
• रोज़ा (Intermittent Fasting) शरीर को डिटॉक्स करता है और हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।
• रिसर्च के अनुसार, उपवास से कैंसर कोशिकाओं का विकास धीमा पड़ता है।
• रोज़ा शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है, जिससे कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
4. मानसिक तनाव से बचाव (नमाज़ का महत्व)
कुरान कहता है:
,,,,,,,,,,,,,,निश्चय ही अल्लाह की याद से दिल को सुकून मिलता है।" ( सूरह अर-रअद 13:28)
• नमाज़ (प्रार्थना) तनाव को कम करती है, जिससे तनाव-जनित कैंसर होने की संभावना घटती है।
• मानसिक शांति और आध्यात्मिकता शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
5. इस्लामी पोशाक और त्वचा कैंसर से बचाव
• मुस्लिम महिलाएँ आमतौर पर शरीर को ढककर रखती हैं, जिससे त्वचा धूप की हानिकारक UV किरणों से सुरक्षित रहती है।
• UV किरणें त्वचा कैंसर का मुख्य कारण हैं, और इस्लामिक ड्रेस कोड से इस खतरे को कम किया जा सकता है।
6. विवाहेतर यौन संबंधों से दूरी और कैंसर से बचाव
कुरान कहता है:
"और व्यभिचार ( ज़िना) के निकट भी मत जाओ, यह एक अत्यंत बुरी राह है।" ( सूरह अल-इसरा 17:32)
• गैर-शादीशुदा यौन संबंध से ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) फैलता है, जिससे सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ता है।
• इस्लाम में विवाहेतर संबंधों की मनाही के कारण सर्वाइकल कैंसर और अन्य यौन संचारित रोगों का जोखिम कम होता है।
7. स्तनपान (Breastfeeding) और कैंसर से सुरक्षा
अल्लाह पाक पवित्र क़ुरान में फरमाता है:
,,,,,,,,,माँ अपने बच्चे को दो साल तक दूध पिलाए,,,,,,,,,
( सूरह अल-बक़रा 2:233)
• शोध के अनुसार, स्तनपान कराने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।
• इस्लाम में स्तनपान को अनिवार्य किया गया है, जिससे मुस्लिम महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की दर कम होती है।
निष्कर्ष –
• इस्लाम न केवल एक धार्मिक मार्गदर्शन है, बल्कि एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित स्वस्थ जीवनशैली भी प्रदान करता है।
• धूम्रपान, शराब, और अनैतिक जीवनशैली से बचाव मुसलमानों में कैंसर दर को कम करने में मदद करता है।
• रोज़ा, नमाज़ और हलाल भोजन कैंसर जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
• इस्लाम शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित रखता है, जिससे जीवन अधिक सुरक्षित और खुशहाल बनता है।
• अगर इस्लामी जीवनशैली को अपनाया जाए, तो कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव संभव है।
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