एक मुस्लिम औरत की बेहद भावनात्मक कहानी
यह कहानी एक ऐसी मुस्लिम औरत की है जिसने ज़िंदगी में बहुत तकलीफ़ें सही, लेकिन उसने सब्र और तवक्कुल (अल्लाह पर भरोसा) को नहीं छोड़ा।
यह वाक़िआ हमें सिखाता है कि जब हम अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, तो वह हमें ऐसी जगह से मदद देता है, जहाँ से हम सोच भी नहीं सकते। अगर आप ज़िंदगी में किसी मुश्किल से गुज़र रहे हैं, तो यह कहानी आपकी सोच बदल सकती है।
सनाया नाम की एक नेकदिल औरत थी। उसकी शादी एक अच्छे इंसान से हुई थी, लेकिन कुछ सालों बाद उसके शौहर की अचानक एक हादसे में मौत हो गई।
अब वह अकेली थी, उसके तीन छोटे बच्चे थे, और कोई सहारा नहीं था। रिश्तेदारों ने मदद करने से मना कर दिया। दुनिया ने मुँह फेर लिया, लेकिन उसने अल्लाह पर भरोसा रखा।
"अगर अल्लाह ने मुझे इस इम्तेहान में डाला है, तो वही इससे निकालने वाला भी है।"
लेकिन हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते गए। घर का किराया देना मुश्किल हो गया। खाने के लिए भी कुछ नहीं था।
एक दिन सनाया के पास बस एक रोटी बची थी। उसके तीनों बच्चे भूख से रो रहे थे। उसने वह रोटी तीन टुकड़ों में बाँट दी और खुद भूखी रह गई।
रात को, जब वह नमाज पढ़ते हूई सजदे में गई, तो उसकी आँखों से आँसू बहने लगे:
"ऐ अल्लाह! मैं तुझसे कुछ नहीं माँगती, बस मेरा ईमान बचा रह जाए।"
यह उसकी सबसे बड़ी परीक्षा थी।
अगली सुबह, जब वह घर के बाहर निकली, तो उसे एक बुजुर्ग इंसान मिले। उन्होंने कहा:
"बेटी, मैं तीन दिन से सफर में हूँ, बहुत भूखा हूँ।"
सनाया के पास कुछ भी नहीं था, लेकिन उसने अपना आख़िरी एक गिलास दूध उस बुज़ुर्ग को दे दिया।
उस शख्स ने हाथ उठाकर दुआ दी:
"अल्लाह तुझे इतनी दौलत देगा कि तू कभी तंगी नहीं देखेगी।"
कुछ ही घंटे बाद, उसे एक पुराने दोस्त की तरफ़ से नौकरी का ऑफर मिला, जो बहुत अच्छी सैलरी देने के लिए तैयार था।
वह रोने लगी और कहा:
अल्लाह, तू कितना बड़ा है! जब दुनिया ने साथ छोड़ दिया, तब तूने मुझे सँभाल लिया
• सब्र और तवक्कुल ही असली दौलत है जब हम अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, तो वह कभी भी हमें मायूस नहीं करता।
• जब सनाया के पास खुद के लिए कुछ नहीं था, तब भी उसने किसी और की मदद की, और अल्लाह ने उसे बेइंतहा इनाम दिया।
• हर मुश्किल के बाद आसानी आती है, बस हमें अल्लाह से जुड़कर रहना चाहिए।
(क़ुरआन, सूरह अत-तलाक़ 65:3)
यह आयत हमें यह सिखाती है कि अगर कोई व्यक्ति अल्लाह पर भरोसा रखता है, तो अल्लाह उसकी रोज़ी के ऐसे दरवाज़े खोल देता है जिनकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता।
आपका एक शेयर किसी की ज़िंदगी बदल सकता है!
सनाया नाम की एक नेकदिल औरत थी। उसकी शादी एक अच्छे इंसान से हुई थी, लेकिन कुछ सालों बाद उसके शौहर की अचानक एक हादसे में मौत हो गई।
अब वह अकेली थी, उसके तीन छोटे बच्चे थे, और कोई सहारा नहीं था। रिश्तेदारों ने मदद करने से मना कर दिया। दुनिया ने मुँह फेर लिया, लेकिन उसने अल्लाह पर भरोसा रखा।
"अगर अल्लाह ने मुझे इस इम्तेहान में डाला है, तो वही इससे निकालने वाला भी है।"
लेकिन हालात दिन-ब-दिन मुश्किल होते गए। घर का किराया देना मुश्किल हो गया। खाने के लिए भी कुछ नहीं था।
एक दिन सनाया के पास बस एक रोटी बची थी। उसके तीनों बच्चे भूख से रो रहे थे। उसने वह रोटी तीन टुकड़ों में बाँट दी और खुद भूखी रह गई।
रात को, जब वह नमाज पढ़ते हूई सजदे में गई, तो उसकी आँखों से आँसू बहने लगे:
"ऐ अल्लाह! मैं तुझसे कुछ नहीं माँगती, बस मेरा ईमान बचा रह जाए।"
यह उसकी सबसे बड़ी परीक्षा थी।
अगली सुबह, जब वह घर के बाहर निकली, तो उसे एक बुजुर्ग इंसान मिले। उन्होंने कहा:
"बेटी, मैं तीन दिन से सफर में हूँ, बहुत भूखा हूँ।"
सनाया के पास कुछ भी नहीं था, लेकिन उसने अपना आख़िरी एक गिलास दूध उस बुज़ुर्ग को दे दिया।
उस शख्स ने हाथ उठाकर दुआ दी:
"अल्लाह तुझे इतनी दौलत देगा कि तू कभी तंगी नहीं देखेगी।"
कुछ ही घंटे बाद, उसे एक पुराने दोस्त की तरफ़ से नौकरी का ऑफर मिला, जो बहुत अच्छी सैलरी देने के लिए तैयार था।
वह रोने लगी और कहा:
अल्लाह, तू कितना बड़ा है! जब दुनिया ने साथ छोड़ दिया, तब तूने मुझे सँभाल लिया
☆ इस कहानी से हमें क्या सबक मिलता कहानी है
• सब्र और तवक्कुल ही असली दौलत है जब हम अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, तो वह कभी भी हमें मायूस नहीं करता।
• जब सनाया के पास खुद के लिए कुछ नहीं था, तब भी उसने किसी और की मदद की, और अल्लाह ने उसे बेइंतहा इनाम दिया।
• हर मुश्किल के बाद आसानी आती है, बस हमें अल्लाह से जुड़कर रहना चाहिए।
• हमारी असली ताकत दुनिया के सहारे नहीं, बल्कि अल्लाह के भरोसे में है।
(क़ुरआन, सूरह अत-तलाक़ 65:3)
यह आयत हमें यह सिखाती है कि अगर कोई व्यक्ति अल्लाह पर भरोसा रखता है, तो अल्लाह उसकी रोज़ी के ऐसे दरवाज़े खोल देता है जिनकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता।
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