● हिजाब या बुर्का पहनने का सही कारण क्या है? धार्मिक और सामाजिक नजरिया



हिजाब पहनने के फायदे

हिजाब सिर्फ एक कपड़ा नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए कई लाभ प्रदान करता है—चाहे वह धार्मिक, मानसिक, सामाजिक, या व्यक्तिगत दृष्टि से हो। आइए, इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदों पर नजर डालते हैं:

• अगर कोई औरत बुर्खा या निकाब,पर्दा करती है तो उसे देखकर कोई अमीर,गरीब का पता नही लगा सकता ।
पर अगर कोई औरत सूट या साड़ी या टोप्स पहनती है तो उसे देखकर कोई भी अमीर,गरीब पता लगा सकता है।

• एक पर्दे वाली औरत को लोग बार बार घुर- घुर नही देखते पर एक सूट वाली या साड़ी वाली या छोटे कपड़े पहने वाली को लोग बार बार घुर-घुर कर देखते है।

• ये बात बुरी भी लग सकती है पर एक पर्दे वाली औरत को कोई मर्द देखकर उसकी खुबसूरती का अंदाजा नही लगा सकता क्युकी पर्दे मे औरत की कोई चीज दिखाई नही देती सिवाय चेहरे के या आँखो के।
पर एक बिना पर्दे वाली (छोटे कपड़े पहनी,या बिना दुपटा के) औरत को बुरे मर्द उसकी खुबसूरती को देख लेते हे ओर अंदाजा भी लगा लेते है।
•एक पर्दे वाली औरत को कौई भी बुरा आदमी अपनी गंदी नजर से नही देखता।

• एक पर्दे वाली औरत को देखकर कौई भी बुरा आदमी को गंदी खव्हिस नही जगती। पर एक बिना पर्दे वाली (छोटे कपड़े पहनी,या बिना दुपटा के) औरत को बुरे मर्द उसकी खुबसूरती को देख लेते हे ओर बुरी खवहिस जगने लगती है। ओर छेड़खानी का अंजाम दे देता हैं।

एक बिना पर्दे वाली (छोटे कपड़े पहनी,या बिना दुपटा के) औरत को बुरे मर्द उसकी खुबसूरती को देख कर अपनी आँखो को ठंढक पहुचाते है। पर एक पर्दे वाली औरत से नहीं।

• क्या आप चाहते है कोई आपकी माँ ओर बहनो को  घुर घुर के बुरी नजरो से देखे ओर उनकी खुबसूरती को देखे ।
आप हर मर्द के आँखो को बन्द नही कर सकते। इसलिये अपनी मा बहनो को ओढनी , दुपटा डालने को कहे, पर्दा करने को कहे।

• अगर कोई चोकलेट को बिना रैपर के जमीन मे गिरा दिया जाये तो वो गन्दा हो जाता है उस पर गन्दगी लग जाती है। फिर उसे कोई उठाहना पसंद नही करता पर रैपर लगा हुआ चोकलेट गिर जाये तो वो साफ रहती है ओर गन्दगी भी नही लगती ओर लोग उसे उठा भी लेते हैं।


धार्मिक लाभ

• आध्यात्मिक शांति: हिजाब पहनना इस्लाम में एक धार्मिक कर्तव्य माना जाता है, जिससे महिलाओं को आत्मिक संतोष और ईश्वर से जुड़ाव महसूस होता है।

• ईश्वरीय आदेश का पालन: हिजाब इस्लामिक शिक्षा का हिस्सा है, और इसे अपनाने से महिलाएं धार्मिक सिद्धांतों के करीब आती हैं।

आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास

• अपनी पहचान को संजोना: हिजाब पहनने से महिलाओं को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने में मदद मिलती है।

• बाहरी दिखावे से परे आत्म-मूल्य: जब महिलाएं हिजाब पहनती हैं, तो वे बाहरी सुंदरता के बजाय अपने आचरण और व्यक्तित्व को अधिक महत्व देती हैं।

सुरक्षा और गोपनीयता

• अनावश्यक ध्यान से बचाव: हिजाब महिलाओं को अनचाही निगाहों और समाज में मौजूद गलत मानसिकता से बचाने में मदद करता है।

• सम्मानजनक व्यवहार: कई समाजों में हिजाब पहनने वाली महिलाओं के प्रति अधिक सम्मानजनक दृष्टिकोण देखा गया है।

सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ

• सादगी और शालीनता का प्रतीक: हिजाब महिलाओं को भौतिकवादी दिखावे से दूर रखता है और सादगी को अपनाने में मदद करता है।

• सशक्तिकरण: कुछ महिलाओं के लिए हिजाब एक स्वतंत्रता का प्रतीक होता है, जिससे वे अपनी पसंद और धार्मिक मान्यताओं पर गर्व कर सकती हैं।

स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभ

• त्वचा की सुरक्षा: सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने में मदद करता है, जिससे त्वचा की समस्याओं का खतरा कम होता है।

• बालों की देखभाल: धूल-मिट्टी और प्रदूषण से बालों की सुरक्षा होती है, जिससे वे स्वस्थ और मजबूत रहते हैं।

इस्लाम में हिजाब का महत्व

इस्लाम में हिजाब का जिक्र क़ुरआन और हदीस में मिलता है। यह शालीनता, विनम्रता और ईमान का प्रतीक माना जाता है। क़ुरआन की कुछ आयतों में महिलाओं को सिर और शरीर को ढकने की सलाह दी गई है, ताकि वे पहचान में आएं और उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।

सूरह अन-नूर (24:31):
"और (ऐ नबी) ईमान वाली स्त्रियों से कह दो कि वे अपनी निगाहें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफ़ाज़त करें और अपनी शोभा को प्रकट न करें सिवाय उसके जो स्वयं स्पष्ट हो।"

सूरह अल-अहज़ाब (33:59):
"ऐ नबी! अपनी पत्नियों, बेटियों और ईमान वाली स्त्रियों से कह दो कि वे अपने ऊपर अपनी चादरें डाल लिया करें, यह उनके लिए अधिक उपयुक्त है ताकि वे पहचानी जाएं और उन्हें परेशान न किया जाए।"

अन्य धर्मों में हिजाब :-

• ईसाई धर्म: कैथोलिक ननों के सिर ढकने की परंपरा आज भी देखी जाती है।

• हिंदू धर्म: प्राचीन काल में और कई भारतीय समुदायों में सिर ढकने की परंपरा रही है, जिसे ‘घूंघट’ कहा जाता है।

• यहूदी धर्म: ऑर्थोडॉक्स यहूदी महिलाएं ‘टिखल’ या ‘शेइटल’ पहनती हैं।

. दुनिया भर में हिजाब को अलग-अलग संस्कृतियों में अपनाया गया है।

• अरब देशों में: इसे पारंपरिक इस्लामी पोशाक के रूप में देखा जाता है।

• दक्षिण एशिया में: कई मुस्लिम महिलाएं ‘दुपट्टा’ या ‘शाल’ को हिजाब के रूप में पहनती हैं।

• यूरोप और अमेरिका में: हिजाब पहनने वाली महिलाओं को कई बार इस्लामोफोबिया का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह भी देखा गया है कि कई महिलाएं इसे अपनी पहचान और आत्मसम्मान के रूप में पहनती हैं।

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