आधुनिक समाज में इस्लाम की भूमिका: कुरान और हदीस की रोशनी में समाधान



इस्लाम एक सार्वभौमिक (पूरी दुनिया के लिये) मार्गदर्शन

आज का समाज तेजी से बदल रहा है। तकनीकी प्रगति, सामाजिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएँ और नैतिक पतन जैसे मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे समय में इस्लाम एक मार्गदर्शक के रूप में उभरता है, जो कुरान और पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की शिक्षाओं द्वारा हर समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है।

☆ सामाजिक न्याय और समानता – इस्लाम का मूल सिद्धांत

न्याय-

कुरान का आदेश:
"हमने अपने रसूलों को स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा और उनके साथ किताब और तराज़ू (न्याय) उतारा ताकि लोग इंसाफ़ पर कायम रहें..........................
[सूरह अल-हदीद (57:25) ]

• इस्लाम सभी इंसानों को बराबरी का अधिकार देता है।
• जातिवाद, नस्लवाद और आर्थिक असमानता के खिलाफ सख्त संदेश देता है।

समानता-

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुसलमान मुसलमान का भाई है। न उस पर ज़ुल्म करता है, न उसे अपमानित करता है, न उसे नीची नज़र से देखता है। तक़वा यहीं है,,,,,,,,,,,,,
 (सहीह मुस्लिम 2564)

यह हदीस सामाजिक एकता को बढ़ावा देती है।
आधुनिक लोकतांत्रिक समाज के मूल्यों से मेल खाती है।

☆ इस्लाम और विज्ञान

कुरान का निर्देश:

"ऐ समूहों (जिन और इंसान)! यदि तुम आकाशों और धरती के छोर से निकल जाने की सामर्थ्य रखते हो, तो निकल जाओ। तुम बिना सत्ता (अल्लाह की इजाज़त) के नहीं निकल सकते।"
सुरह अर-रहमान (55:33)

इस्लाम वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देता है।
स्पेस रिसर्च, AI, मेडिकल साइंस को नैतिकता से जोड़ता है।

शिक्षा-

"ज्ञान प्राप्त करना हर मुस्लिम पुरुष और महिला पर अनिवार्य है,,,,,,

सुनन इब्न माजा 224


,,,,,,,अल्लाह उस व्यक्ति के लिए जन्नत का रास्ता आसान कर देता है, जो ज्ञान की तलाश में निकलता है,,,,,,,,,,
 सही मुस्लिम 2699


यह हदीस शिक्षा को बढ़ावा देती है।
शिक्षा और वैज्ञानिक प्रगति इस्लाम का अभिन्न अंग हैं।

☆ इस्लाम और महिला सशक्तिकरण

 कुरान की घोषणा:

"मुस्लिम पुरुष और मुस्लिम महिलाएँ, ईमानवाले पुरुष और इमानवाली महिलाएँ  .............................
अल्लाह ने इन सभी के लिए माफ़ी और बड़ा इनाम तैयार किया है।  [सूरह अल-अहज़ाब (33:35) ]


• इस आयत में मुसलमान पुरुष तथा स्त्री को समान अधिकार दिए गए हैं। विशेष रूप से अल्लाह की उपासना में, तथा दोनों का प्रतिफल भी एक बताया गया है, जो इस्लाम धर्म की विशेषताओं में से एक है।

इस्लाम में महिलाओं को समान आध्यात्मिक और सामाजिक अधिकार दिए गए हैं।

हदीस:


"जिसने तीन लड़कियों की परवरिश कीउनकी अच्छी तालीम व तर्बियत कीउनसे अच्छा व्यवहार कियाफिर उनका निकाह कर दिया तो उसके लिए जन्नत है।''

(अबू दाऊद: 5147)


महिला शिक्षा और सम्मान को बढ़ावा देता है।

☆ पर्यावरण संरक्षण – इस्लामी ज़िम्मेदारी

कुरान का सिद्धांत:

सूरत अल-हज में अल्लाह कहते हैं, "क्या तुम नहीं देखते कि जो कोई भी आकाश में है और जो कोई भी धरती पर है और सूरज, चाँद, तारे, पहाड़, पेड़, चलने वाले जीव और बहुत से लोग अल्लाह के सामने सजदा करते हैं................( कुरान 22.18 )


"थल और जल में बिगाड़ फैल गया स्वयं लोगों ही के हाथों की कमाई के कारण..................
 (सूरह अर-रूम (30:41)

इस्लाम पर्यावरण संतुलन पर जोर देता है।

हदीस:

रसूलल्लाह ने फरमायाः 
"कोई भी मुसलमान जो एक दरख़्त का पौधा लगाए, या खेती में बीज बोए; फ़िर उसमें से परिंदे या इंसान या जानवर जो भी खाते हैं वो उसकी तरफ़ से सदक़ा (दान) है।"
(सहीह बुखारी : 2320) 

पेड़ लगाना और पर्यावरण की रक्षा करना एक पुण्य कार्य है।

☆ डिजिटल युग और इस्लामी नैतिकता

कुरान की चेतावनी:

"ऐ ईमानवालो ! बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी गुनाह हैं और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो न तुममें से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा (गिबत) करे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सूरह अल-हुजुरात (49:12)

सोशल मीडिया पर अफवाहों से बचना चाहिए।

अल्लाह (ईश्वर) ने कहा: ऐ ईमान वालों! अपने घर के अलावा किसी और घर में तब तक प्रवेश न करो जब तक कि तुम अनुमति न ले लो और उनके रहने वालों को सलाम न कर लो (आयत, अन-नूर, 27)
इस आयत में अल्लाह ने फैसला सुनाया: अगर तुम अपने घर के अलावा किसी और घर में प्रवेश करना चाहते हो तो पहले मालिक की अनुमति मांग लो।

• इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार तुम दूसरों की संपत्ति में उनकी अनुमति के बिना प्रवेश नहीं कर सकते, यह गोपनीयता के अधिकारों के प्रति इस्लामी दृष्टिकोण है।

अल्लाह ने कहा: ऐ ईमान वालो! अल्लाह और उसके रसूल की अमानत में खयानत न करो और न ही जानबूझ कर अपनी अमानत में खयानत करो (सुरह अल-अनफाल, 27)
इस आयत में अल्लाह हुक्म देता है: अमानत में खयानत न करो। बिना इजाज़त के किसी दूसरे को दी गई सुरक्षा जानकारी विश्वासघात है।

अल्लाह ने कहा: अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके हक़दारों तक पहुँचा दिया करो। और जब लोगों के बीच फ़ैसला करो, तो न्यायपूर्वक फ़ैसला करो। अल्लाह तुम्हें कितनी अच्छी नसीहत करता है। निस्सदेह, अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है"
(सुरह अन्नेसा, 58)

साइबर सुरक्षा और डिजिटल नैतिकता का आधार।

☆ इस्लामी आर्थिक मॉडल – न्याय और पारदर्शिता

कुरान का नियम:

,,,,,,,,,,,,अल्लाह ने व्यापार को हलाल और सूद को हराम किया है...............  
[सूरह अल-बक़रा (2:275) ]

• सूद-मुक्त अर्थव्यवस्था, ज़कात और सदक़ा से आर्थिक स्थिरता।

अल्लाह ने क़ुरान में हुक्म दिया; "और ऐ मेरी क़ौम पैमाने और तराज़ू इन्साफ़ के साथ पूरे पूरे रखा करो और लोगों को उनकी चीज़े कम न दिया करो और रुए ज़मीन में फसाद न फैलाते फिरो"
[ (सुरह हद अयत 85)]

• नाप तोल में किसी भी तरह से कमी नहीं करनी चाहिए।

हदीस:

एक मजदूर को काम पर रखा और उससे पूरा काम करवाया, लेकिन उसे उसकी मजदूरी नहीं दी।

पैगम्बर मोहम्मद (स•) ने इस संबंध में कहा है:

"मजदूर को उसका पसीना सूखने से पहले ही उसकी मजदूरी दे दो।" 

(किताब- इब्न माजा 2443)


व्यापार में नैतिकता और ईमानदारी का महत्व।

निष्कर्ष –
कुरान और हदीस की शिक्षाएँ साबित करती हैं कि इस्लाम कोई पुराना धर्म नहीं, बल्कि एक जीवंत मार्गदर्शन है। चाहे सामाजिक न्याय हो, पर्यावरण संरक्षण, या डिजिटल नैतिकता – इस्लामी सिद्धांत मानवता को संतुलन और न्याय का रास्ता दिखाते हैं। आधुनिक समाज को इस्लाम की इस सार्वभौमिकता को अपनाकर ही सच्ची प्रगति और शांति प्राप्त हो सकती है।

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