अल्लाह की मोहब्बत में बदलता दिल एक मुस्लिम लड़के की ईमोशनल कहानी
कहानी की शुरुआत ;
हसन, एक 19 साल का मुस्लिम लड़का, जो एक मध्यमवर्गीय परिवार से था। उसका दिल हमेशा यह सवाल करता था – "क्या अल्लाह वाकई मेरी सुनता है? क्या वह मुझसे मोहब्बत करता है?"
वह एक साधारण लड़का था, जो पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहता था। मगर उसके दिल में अधूरी सी बेचैनी थी। उसे लगता था कि इस दुनिया में सबकुछ पाने के बावजूद भी उसकी रूह खाली है।
हसन अपने दोस्तों के साथ घूमता, गेम खेलता और सोशल मीडिया पर घंटों बर्बाद करता। धीरे-धीरे वह नमाज़ छोड़ने लगा, क़ुरआन पढ़ना छोड़ दिया, और इस्लाम से दूर होने लगा। गुनाह आसान लगने लगे, और इबादत बोझ लगने लगी। दिल में सुकून की कमी महसूस होती, लेकिन वजह समझ नहीं आ रही थी। अल्लाह से दूर होकर भी उसे महसूस नहीं हुआ कि वह अपनी रूह को खुद ही भूखा रख रहा है।
जिंदगी में दलाव की शुरुआत ;
एक दिन हसन अपने दोस्तों के साथ बाइक पर तेज़ रफ़्तार से जा रहा था। अचानक सामने से एक ट्रक आया, और बाइक फिसल गई।
हसन सड़क पर गिर गया, और सिर में गहरी चोट लग गई।
वह बेहोश हो गया, और अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने कहा, "अगर इसे होश नहीं आया, तो यह कोमा में जा सकता है।"
माँ की दुआएँ और क़ुरआन की तिलावत
हसन की माँ दिन-रात रोती रही। उसने डॉक्टरों से कहा, "मेरे बेटे को सिर्फ़ अल्लाह ही बचा सकता है!"
वह क़ुरआन लेकर बैठी और सूरह यासीन की तिलावत करने लगी।
उस रात माँ ने ताहज्जुद पढ़ी और रोते हुए अल्लाह से दुआ की:
"या अल्लाह! मेरे बेटे को वापस लौटा दे, और उसे हिदायत दे!"
अगली सुबह, एक चमत्कार हुआ – हसन को होश आ गया! डॉक्टर भी हैरान थे, क्योंकि उसे ठीक होने में हफ्तों लग सकते थे!
हसन जब उठा, तो उसने सबसे पहले अपनी माँ को रोते हुए क़ुरआन पढ़ते देखा।
उसका दिल पिघल गया! उसने महसूस किया कि अल्लाह ने उसे एक और मौका दिया है।
हसन ने अपने पूरे जीवन पर नज़र डाली और रोने लगा।
उसने गुनाहों से तौबा की,उसने नमाज़ की आदत बनाई।
उसने क़ुरआन पढ़ना शुरू किया।
,,,,,,,,,निस्संदेह, अल्लाह तौबा करने वालों से प्रेम करता है और पाक-साफ रहने वालों से प्रेम करता है।" (सूरह अल-बक़रा 2:222)
हसन अब एक बदला हुआ इंसान था उसने महसूस किया कि दुनिया की हर चीज़ अस्थायी है, लेकिन अल्लाह की मोहब्बत सच्ची है, उसे अब असली सुकून सिर्फ़ नमाज़ और क़ुरआन में मिलता था।
• गुनाहों से तौबा का दरवाज़ा हमेशा खुला है।
• अल्लाह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ता, हम ही उसे भूल जाते हैं।
• सच्ची खुशी दुनिया की चीज़ों में नहीं, बल्कि अल्लाह की मोहब्बत में है।
"जो लोग ईमान लाए और जिनके दिल अल्लाह की याद से इत्मीनान पाते हैं। सुन लो! अल्लाह की याद ही से दिलों को इत्मीनान मिलता है।"
(सूरह अर-रअद 13:28)यह कहानी हमें क्या सिखाती है?
• अल्लाह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ता, हम ही उसे भूल जाते हैं।
• सच्ची खुशी दुनिया की चीज़ों में नहीं, बल्कि अल्लाह की मोहब्बत में है।
• अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा:
"अल्लाह तआला फ़रमाता है: 'मैं अपने बंदे के साथ वैसा ही व्यवहार करता हूँ जैसा वह मेरे बारे में गुमान रखता है। जब वह मुझे याद करता है, तो मैं उसके साथ होता हूँ। यदि वह मुझे अपने दिल में याद करता है, तो मैं भी उसे अपने दिल में याद करता हूँ। यदि वह मुझे किसी सभा में याद करता है, तो मैं उसे उससे बेहतर सभा में याद करता हूँ। यदि वह मुझसे एक हाथ के बराबर करीब आता है, तो मैं उससे एक हाथ के बराबर करीब आता हूँ। यदि वह मुझसे एक हाथ बढ़ता है, तो मैं उससे दो हाथ बढ़ता हूँ। यदि वह मेरी ओर चलकर आता है, तो मैं उसकी ओर दौड़कर आता हूँ।"
(सहीह मुस्लिम 2675 )
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"जो अल्लाह की तरफ़ आता है, अल्लाह उससे ज़्यादा करीब आ जाता है!"
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