"Ask only ALLAH "


शिर्क के मामले मे ये तीन चीजे हमेसा याद रखिये 👇
1, हय = जिंदा ( Alive )
2, हज़ीर = उपस्थित ( persent )
3, कदीर = ताकत रखता हो ( power)

जिस शख्स में ये👆 तीनो चीजें फिट होगी उनसे आप मदद मांग सकते है

और हमेसा शिर्क से बचे बेसक ! शिर्क बहुत बड़ा गुनाह है


हमें सिर्फ अल्लाह से दुआ / मदद मांगनी चाहिये👇

नबी ने फरमाया सिर्फ अल्लाह से मांगो , अल्लाह से सवाल करो

क़ुरान ए पाक में तो अल्लाह की इबादत करने और आल्लह से मदद मागने की बात की गई है

إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ

IYYAA-KA NA'BUDU WA IYYAA-KA NASAT'IIN
इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन
हम तेरी ही "इबादत" करते हैं और तुझी से "मदद" चाहते हैं।
सूरह फातिहा आयत 4


क्या हम रसूल अल्लाह से दुआ मांगते है? नहीं ना
क्या कभी अल्लाह के रसूल ने कहा कि मुझसे दुआ मांगो? नहीं ना

बरीश कौन बरसात है =अल्लाह
बरिश बरसाने की ड्यूटी किसकी है = फरिस्तो की
पर क्या हम बारिश फरिस्तो से मांगते हैं ? = नहीं ना

रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फ़रमाया;
तुम में से हर शख्स को चाहिए की वो अपनी तमाम हाजतें अपने रब्ब ( अल्लाह ) से ही मांगे यहाँ तक की नमक भी उस से मांगे और अगर जूते का तस्मा (लेस) भी टूट जाये तो वो भी उस से ही मांगे
📒जामेअ तिरमिज़ी 3604

जो जिंदा ना हो, जो ताकत नहीं रखता हो , जो मौजूद ना हो उनसे मांगना शिर्क है ।
शिर्क बहुत बड़ा गुनाह है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बाँधा।”

📕 सूरह निसा: 48

✅हज़रात अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (रज़ि0) का बयान है कि एक दिन मैं अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्ल0 के पीछे सवारी पर बैठा था कि

आप (ﷺ) ने फऱमाया
«ऐ बेटे! मैं तुम्हें कुछ बातें सिखाता हूं: अल्लाह को याद रख, अल्लाह तेरी मदद करेगा। अल्लाह को याद रख अल्लाह को अपने सामने पाएगा। जब तुझे कुछ सवाल करना हो, तो सिर्फ अल्लाह से सवाल कर, और जब तुझे मदद की ज़रुरत हो, तो सिर्फ अल्लाह से ही मदद माँग। और अच्छी तहर जान ले कि अगर सारी दुनिया इस बात पर जमा हो जाए कि तुझे किसी चीज़ से फायेदा पहुंचा सके तो वह कभी भी नहीं पहुंचा सकते, हाँ मगर उस चीज़ के साथ जो अल्लाह ने तेरे नसीब में लिख दी है। और अगर सारी दुनिया इस बात पर जमा हो जाए कि वह तुझे किसी चीज़ से नुक्सान पहुंचा सके तो वह कभी भी नहीं पहुंचा सकते लेकिन इतना ही जितना अल्लाह ने तेरे किस्मत में लिख दी है। क़लम उठा लिए गए हैं। और सहीफें खुश्क हो चुके हैं।»

📒मुसनद अहमद »1/293, 303, 307
📒मिश्कात » 2/453
📒तिरमिज़ी » 2/84
📒सहीह सुनन तिरमिज़ी » 2/609-610 » 2516
📒मिश्कात अल मासाबीह » 5302
📒मुसनद अबू याला » 2/665
📒मुस्तदरक अल हाकिम » 3/541-542
✔इमाम तिरमिज़ी ने इस हदीस को हसन-सहीह कहा और
इमाम अल अलबानी ने भी इस हदीस हो सहीह कहा |
और जिन रावी ने इस हदीस को सहीह कहा


कोई बात बुरी लगी हो तो माफ कर देना ........